Apshisht jal ki kahani अपशिष्ट-जल की कहानी

Apshisht jal ki kahani
अपशिष्ट-जल की कहानी 

अपशिष्ट-जल की कहानी

 Apshisht jal ki kahani



अपशिष्ट-जल की कहानी 


कक्षा सातवीं पाठ अपशिष्ट जल की कहानी
 सभी बच्चे पाठ को चार-पांच बार पड़े 

प्रश्न:- वाहित मल क्या है? अनुपचारित वाहित
 मल को नदियों अथवा समुद्र में विसर्जित करना
 हानिकारक क्यों है, समझाइए।
उत्तर:- घरों, उद्योगों, कृषि कार्य, खेतों और अन्य
 मानव क्रिया कलापों में उपयोग किया हुआ
 अपशिष्ट जल वाहित मल कहलाता है।
 अनुपचारित वाहित मल को नदियों अथवा
 समुद्र में विसर्जित करने से जल प्रदूषित हो
 जाता है जिससे नहाने से त्वचा संबंधी रोग तथा
 पीने से पेट से संबंधित बीमारियां उत्पन्न होती
 हैं। कभी-कभी जल संबंधित रोगों से पीड़ित
 व्यक्ति की मृत्यु भी हो जाती है।

प्रश्न:- तेल और वसा   को नाली में क्यों नहीं
 बहाना चाहिए? समझाइए।
उत्तर:- तेल और  वसा  पाइपों में कठोर पदार्थ 
की परत जमा कर उन्हें अवरुद्ध (बंद)कर 
सकते हैं। खुली नालियों में वसा, मृदा के रंध्रों 
को बंद कर देती है जिससे उसके जल को 
फिल्टर करने की प्रभावित (क्षमता)कम हो 
जाती है अतः तेल और वसार्ओं को नाली में 
नहीं बहाना चाहिए।

प्रश्न:-अपशिष्ट जल से स्वच्छ जल प्राप्त करने के
 प्रक्रम में सम्मिलित चरणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:- प्रथम चरण:
सर्वप्रथम अपशिष्ट जल को ऊर्ध्वाधर छड़ों से
 बने शलाका से गुजारा जाता है। यह अपशिष्ट
 जल में उपस्थित बड़े साइज के संदूषक जैसे
 कपड़ों के टुकड़े, प्लास्टिक के पैकेट, नैपकिन,
 डंडिया आदि अलग हो जाते हैं।

द्वितीय चरण
अब वाहित जल को ग्रिट और बालू को अलग 
करने की टंकी में ले जाया जाता है। इस टंकी 
में अपशिष्ट जल को कम प्रवाह से छोड़ा जाता 
है। जिससे उसमें उपस्थित बालू ग्रिट और कंकड़ 
पत्थर उसकी पैंदी में बैठ जाते हैं।

तृतीय चरण:-
द्वितीय चरण से प्राप्त जल को एक ऐसी टंकी में
 ले जाया जाता है जिसका पैंदा मध्य भाग की
 और ढलानदार होता है जल को इस टंकी में
 कई घंटों तक रखा जाता है जिससे मल जैसे
 ठोस मध्य भाग की तली में बैठ जाते हैं। इन
 अशुद्धियों को खुरचकर बाहर निकाल दिया
 जाता है यह आपंक (सलज) होता है। 
जल में तैरने वाले तेल और ग्रीस जैसी अशुद्धियों
 को अपमथित्र (स्किमर) द्वारा अलग कर लिया
 जाता है इस प्रकार प्राप्त जल निर्मलीकृत जल
 कहलाता है। आपंक को पृथक टंकी में
 स्थानांतरित कर दिया जाता है, जहां यह
 अवायवीय जीवाणुओं द्वारा अपघटित हो जाता
 है तथा इस प्रक्रम में उत्पन्न बायोगैस को ईंधन
 अथवा विद्युत उत्पादन के लिए किया जाता है।

चतुर्थ चरण:-
निर्मलीकृत जल में पंप द्वारा वायु प्रवाहित की
 जाती है जिससे वायविय जीवाणुओं की वृद्धि
 होती है ये जीवाणु निर्मलीकृत जल में बचे हुए
 मानव एवं खाद्य अपशिष्ट पदार्थों, साबुन व
 अन्य अवांछित पदार्थों का उपयोग कर लेते हैं
 अब शीर्ष भाग से जल को निकाल कर उसे
 रोगाणु मुक्त करने के लिए क्लोरीन अथवा
 ओजोन से गुजर कर शुद्ध कर लिया जाता है।

प्रश्न:- आपंक क्या है? समझाइए इसे कैसे 
उपचारित किया जाता है?
उत्तर:- आपंक अपशिष्ट जल का सह-उत्पाद है।
 यह मल जैसा ठोस अपशिष्ट है टंकी की पैंदी में
 एकत्रित सक्रियता आपंक में लगभग 97%
 जल होता है जल को बालू द्वारा बनाए गए
 शुष्कन तलों द्वारा अथवा मशीनों द्वारा हटा
 दिया जाता है इससे आपंक शुष्क हो जाता है।
 इसका उपयोग खाद के रूप में करते हैं जिसके
 कार्बनिक पदार्थ और पोषक तत्व पुनः मृदा में
 चले जाते हैं।

प्रश्न:- अनुपचारित मानव मल एक स्वास्थ्य संकट है। 
समझाइए।
उत्तर:- अनुपचारित मानव मल के वातावरण में बने 
रहने से विषैले पदार्थ उत्पन्न हो जाते हैं इससे दुर्गंध 
आने लगती है जिससे श्वास संबंधी एवं अन्य रोग 
होने की संभावना रहती है मल के ढेर पर मक्खियां, 
मच्छर एवं विभिन्न रोगाणु पनपने लगते हैं जो हैजा,
 तपेदिक, हेपेटाइटिस, पोलियो, पेचिश, आदि 
बीमारियां फैलाते हैं  जिससे जल और मृदा भी 
प्रदूषित होते हैं अतः अनुपचारित मानव मल 
स्वास्थ्य संकट का एक
बहुत बड़ा कारक है।

प्रश्न :- जल को रोगाणुनाशित (रोगाणुमुक्त)
 करने के लिए उपयोग किए जाने वाले दो
 रसायनों के नाम बताइए।
उत्तर:- रोगाणुनाशित रसायन-
1.ओजोन 
2. क्लोरीन

प्रश्न:-अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र में शलाका
 छिननो के कार्यों को समझाइए।
उत्तर:-शलाका छननो (बार स्क्रीन) द्वारा अपशिष्ट 
जल में उपस्थित कपड़ों के टुकड़े, डंडियां, डब्बे, 
प्लास्टिक पैकेट, नैपकिन आदि बड़े साइज के 
संदूषक अलग कर दिए जाते हैं।

प्रश्न:-स्वच्छता और रोग के बीच संबंध को समझाइए।
उत्तर:-
स्वच्छता की कमी और संदूषित पेयजल अनेक
 रोगों को जन्म देते हैं। हमारी जनसंख्या का
 बहुत बड़ा भाग खुले स्थानों, नदी के किनारो,
 रेल की पटरियां, खेतों, जल स्रोतों आदि में ही
 मल त्याग करते हैं इससे जल और मृदा दोनों ही
 प्रदूषित हो जाते हैं इसे दुर्गंध फैलती है तथा
 अनुपचारित मल पर विभिन्न रोगाणु पनपने है
 जिससे अनेक रोग उत्पन्न होते हैं।

प्रश्न:-  स्वच्छता के संदर्भ में एक सक्रिय
 नागरिक के रूप में अपनी भूमिका को
 समझाइए।
उत्तर:- स्वच्छता के संदर्भ में सक्रिय नागरिक की
 भूमिका:
1. अपशिष्ट पदार्थ की मात्रा और उनकी
 विविधता को कम करने का प्रयास करना
 चाहिए।
2. अपने पास-पड़ोस सार्वजनिक स्थानों और
 सड़कों पर फैले हुए कूड़े-कचरे के ढेरों की
 जानकारी नगरपालिका अथवा ग्राम पंचायत
 को देनी चाहिए तथा उनसे यथोचित कदम
 उठाने के लिए आग्रह करना चाहिए।
3. यदि किसी के घर से निकलने वाला वाहित 
 जल पास-पड़ोस में गंदगी फैला रहा हो, तो
 उन्हें अन्य नागरिकों के स्वास्थ्य के प्रति
 समझना चाहिए।

                       Thanks for watching
Apshisht jal ki kahani अपशिष्ट-जल की कहानी Apshisht jal ki kahani अपशिष्ट-जल की कहानी Reviewed by Blogger on September 23, 2023 Rating: 5

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